पञ्च वा एता महा यज्ञाः ---- देव यज्ञः पितृ यज्ञः भूत यज्ञः मनुष्य यज्ञो ब्रह्म यज्ञ इति ----
यत्पितृभ्यस् स्वधा करोति तत् पितृ यज्ञः संतिष्ठते----पितृन् स्वधा अभिवहन्ति ----
श्राद्ध मन्त्र-
यन्मे माता ---ये चेह पितरः ----
पृथिवी ते पात्रं द्यौरभिधानं----
---एकाग्नि काण्ड ii-20
एकोद्दिष्ट मन्त्र-
---तैत्तिरीय काठक iii-49
ब्रह्ममेध संकार:-
सुवर्णम् घर्मं --------तैत्तिरीय आरण्यक iii-20
पितृ मेध मन्त्राः-
यम् ते अग्निममन्थाम------यमाय सोमं सुनुत -----
अपनश्शोशुचदघमस्ते------
--- तैत्तिरीय आरण्यक vi
यमाय सोमः पवत यमाय क्रियते हविः------
यमाय मधुमत्तमं ----
एनं परिददात् पितृभ्यः.....
---अथर्व वेद संहिता xviii-1,2....
पितृ तर्पण मन्त्र-
मधुवाता ऋतायते ----मधु नक्त----
मधुमान्नो----
---तैत्तिरीय आरण्यक x-57